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बच्चो की कविताएं | Kids Poem in Hindi l Poem in Hindi

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बच्चो की कविताएं | Kids Poem in Hindi l Poem in Hindi  इस ब्लॉग के जरिए हम Kids Poom in Hindi बच्चों के लिए सबसे मजेदार  Poem in Hindi  मे लेकर आए है। यह  poem बच्चो को बहुत पसंद आती है।    यह पर जो बच्चों की कविताए प्रस्तुत की गई। है। वह उनके शिक्षा के स्तर में काफी लाभप्रद है । बच्चे की कविताए| Kids Poem in Hindi | Poem in Hindi   पकौड़ी आई पकौड़ी। छुन छुन छुन छुन तेल में नाची,  प्लेट में आ शरमाई पकौड़ी। आई पकौड़ी। हाथ से उछली मुँह में पहुँची, पेट में जा घबराई पकौड़ी। दौड़ी-दौड़ी आई पकौड़ी। मेरे मन को भाई पकौड़ी क्यू एक और मजेदार कविता                             चल रे मटके टम्मक टू  हुए बहुत दिन बुढ़िया एक,  चलती थी लाठी को टेक। उसके पास बहुत था माल,  जाना था उसको ससुराल । मगर राह में चीते, शेर,  लेते थे राही को घेर । बुढ़िया ने सोची तदबीर,  जिससे चमक उठे तकदीर । मटका एक मँगाया मोल,  लंबा- लंबा गोल-मटोल । उसमें बैठी बुढ़िया आप...

जीवन की यात्रा-Hindi Motivational Story

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जीवन की यात्रा -Hindi Motivational Story  Hello दोस्तो आप सभी का सारा का जहां ब्लॉग पर स्वागत है। दोस्तों आज का यहां ब्लॉग आप सभी के लिए बहुत ही दिलचस्प और मोटिवेशनल होने वाली है। दोस्तो जीवन की यात्रा इस ब्लॉग के जरिए से मैं आपको जीवन की यात्रा क्या है एक Hindi Motivational Story के माध्यम से जानेंगे।   एक मनोरम हिंदी प्रेरक कहानी के माध्यम से जीवन की यात्रा की खोज करें। • जीवन की चुनौतियों से निपटने के लिए बहुमूल्य अंतर्दृष्टि और प्रेरणा प्राप्त करें। • विचारोत्तेजक और प्रेरक पढ़ने के लिए ब्लॉग पोस्ट देखें। • सारा का जहाँ ब्लॉग समुदाय में शामिल हों और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित हों। जीवन की यात्रा -Best Motivational Story On life  एक राजा ने अपने राज्य में रहने वाले लोगों के लिए एक महान राजमार्ग का निर्माण किया। लेकिन इसे जनता के लिए खोलने से पहले राजा ने एक प्रतियोगिता का फैसला किया । यह चुनौती यह देखने के लिए थी कि राजमार्ग पर सबसे अच्छा सफर कौन करता है, और विजेता को सोने का एक बॉक्स प्राप्त करना था। प्रतियोगिता के दिन सभी लोग आए। कुछ के...

गधे और धोबी की कहानी हिंदी में

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गधे और धोबी की कहानी विषयसूची  गधे और धोबी की कहानी हिंदी में  गधे और धोबी की कहानी से मिली सीख गधे और धोबी की कहानी हिंदी में एक निर्धन धोबी था। उसके पास एक गधा था। गधा काफी ख़राब था क्योंकि उसे बहुत कम खाने-पीने को मिल पाता था। एक दिन, धोबी को एक मेरा हुआ बाघ मिला। उसने सोचा, "मैं इस बाघ की खाल डालूँगा और उसे पड़ोसियों के मार्गदर्शन में चरने के लिए छोड़ दूँगा।" किसान समझेंगे कि वह स्टाइल का बाघ है और उसे डरकर दूर ले जाया जाएगा और गढ़ा आराम से खेत में ले जाया जाएगा।'' धोबी ने तुरंत अपनी योजना पर अमल कर डाला। उसकी योजना पर काम किया गया। एक रात गढ़ा खेत में घूम रहा था कि उसे किसी गढ़ी की रैंक की आवाज सुनाई दी। उस आवाज को सुनकर वह जोश में आ गया कि वह भी जोर-जोर से रेंकने लगा। गोल्ड की आवाज सुनकर किसानों को उनकी असलियत का पता चला और उन्होंने गिल्ड की भरपूर सराहना की! गधे और धोबी की कहानी से मिली सीख वैसे कहा गया है कि अपनी सच्चाई छुपानी नहीं चाहिए।

गधो का सत्कार Hindi Story Hindi Kahaniyan

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गधो का सत्कार । Hindi Story। Hindi Kahaniyan बहुत समय पहले की बात है. एक जंगल में गधे ही गधे रहते थे। पूरी आजादी से रहते, भरपेट खाते-पीते और मौज करते । गधों के लिए वह जंगल स्वर्ग की तरह था। एक दिन एक लोमड़ी को  मजाक सूझा। उसने मुंह लटकाकर गधों से कहा- 'मैं चिंता से मरी जा रही हूं और तुम इस तरह आराम से घूम रहे हों हमारे यहां कितना बड़ा संकट सिर पर आ पहुंचा है!' गधों ने उत्सुकता से पूछा- 'दीदी, भला क्या हुआ, बात तो बताओ!' लोमड़ी ने कहा- 'मैं अपने कानों से सुनकर और आंखों से देखकर आई हूं, जंगल की झील की मछलियों ने एक सेना बना ली है और वे अब हम सब पर हमला करने वाली है। लोमड़ी की यह बात सुन कर सभी गधे असमंजस में पड़ गए । उन्होंने सोचा, व्यर्थ जान गंवाने से क्या लाभ, चलो कहीं अन्यत्र चलो ! सारे गधे जंगल छोड़कर गांव की ओर चल पड़े । सबके दिमाग में एक ही बात चल रही थी कि इससे पहले कि मछलियां हम पर हमला करें, जितना दूर हो सके, निकल लेने में ही भलाई है । और वे सब लोमड़ी को शुक्रिया भी कह रहे थे कि अगर उसने न बताया होता तो हमारा बचना भी मुश्किल ही था। जब ये सारे गधे...

लालची कबूतर

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लालची कबूतर लालची कबूतर एक बार की बात किसी जंगल में एक बढा सा पेड़ था। उस पेड़ पर प्रतिदिन बहुत से पक्षी आकर विश्राम करते थे। एक दिन एक बहेलिये ने पक्षी पकड़ने की इच्छा से वहाँ चावल के दाने फैला दिये और उसके ऊपर जाल बिछा दिया और स्वयं एक पेड़ के पीछे छिपकर बैठ गया । कुछ समय बाद उस पेड़ पर एक कबूतरों का झुण्ड आकर विश्राम करने लगा । तभी उनकी नजर चावलों के दानो पर पड़ी । दाने देखकर उनकी भूख जाग उठी और वह दाने चुगने के लिए जाने लगे। तब उनके मुखिया ने उन्हे समझाया की उसे इन दानों के पीछे कुछ गड़बड़ लग रही है, इसलिए उन्हें यह दानें नहीं चुगने चाहिए। पर कबूतरों ने अपने मुखियाकी बात नहीं सुनीं और दाने चुगने के लिए चले गए। सारे कबूतर जाल में फँस गए। उन्हे अपने मुखिया की बात न मानने तथा लालच करने की सजा मिल गई। उनके मुखिया ने उन्हे एक दिशा में उड़ने के लिए कहा। सब कबूतर जाल के साथ एक ही दिशा में उड़े और बेहलिया देखता ही रह गया । सब कबूतर अपने मुखिया के दोस्त चूहे के घर जा पहुँचे । चूहे ने अपने पैने दांतो से जाल काट कर कबूतरों को मुक्त कर दिया। कबूतरों ने अपने प्राण बचाने वाले नन्हे च...

चरवाहा लड़का

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चरवाहा लड़का  एक चरवाहा लड़का अपने भेड़ो के झुण्ड को जंगल में चराने ले जाता था और एक बार बोर हो कर उसने सोचा क्यों न एक खेल खेलें। इसी सोच से वह जोर जोर चिल्लाने लगा "भेड़िया, भेड़िया भेड़िया भेड़ के बच्चे को ले जा रहा है। " खेतो में काम कर रहे किसान भागते भागते उसके पास आये। किसान आते ही पूछे 'किधर है भेड़िया ?" लड़के ने हसते हसते बोला "कोई भेड़िया नहीं था, मै बोर हो गया था इसलिए सोचा की आप लोगो को बुला लूँ । किसान बहुत गुस्सा हुए और उसको डांटा और फिर वह से वापस खेत में चले गए। ऐसा ही उस लड़के ने चार पांच बार और किया और हर बार किसान आते थे लेकिन हर बार वह लड़का मजाक कर रहा होता था एक बार सचमूच में भेड़िया उसके सामने आ गया और जल्द से वह लड़का पेड़ पे चढ़ के अपनी जान बचाया। हर बार की तरह इस बार भी वह लड़का भेड़िया कह कर चिल्लाया लेकिन किसानो को लगा की इस बार भी मजाक कर रहा है। और कोई भी नहीं पंहुचा। इसी बिच भेड़िया ने एक भेड के बच्चे को उठा कर लेता चला गया।  कहानी से सीख : एक झूठे का सच कभी नहीं माना जाता है।

नानक की सीख

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नानक की सीख श्री गुरुनानकजी महाराज प्रभु-नाम का प्रचार करते हुए पहुंचे बगदाद में। वहां राज करता था खलीफा । लोगों ने बताया कि खलीफा कंजूस बहुत है, किसी को एक कौड़ी भी नहीं देता। गुरुजी मुस्कुरा, कंकरों की एक पोटली बांध ली और अपने पास रख ली। सत्संग होने लगा कुछ दिनों के बाद खलीफा भी सत्संग में आया। सत्संग की समाप्ति पर गुरुजी ने खलीफा को आशीर्वाद दिया, बोले, खलीफा मैं हूं फकीर, स्थान-स्थान पर घूमता फिरता हूं। मेरे ये कंकर संभालकर अपने पास रख लें। मैं कभी मिलूंगा तो तुम से ले लूंगा । खलीफा ने कहा परन्तु ये तो कंकर हैं। गुरुजी बोले- मेरे लिए ये कंकर ही बहुमूल्य हैं। आप इन्हें संभालकर रख लें। खलीफा ने पूछा-परन्तु आप इन्हें वापस कब लेंगे? गुरुजी बोले ये तो मुझे भी मालूम नहीं। हो सकता है इस जीवन में फिर कभी आपसे भेंट ही नहीं हो सके। इस अवस्था में ये कंकर मैं आप से उस दिन ले लूंगा जबकि सब लोग खुदा के सामने अपना-अपना हिसाब देने के लिए इक्कठे होंगे। खलीफा ने कहा, परन्तु वहां मृत्यु के बाद, कयामत के दिन ये कंकर मैं साथ लेकर कैसे जाऊंगा ? गुरुजी ने मुस्कुराते हुए कहा- अपने इतने माल - ख...

शेख चिल्ली के कारनामें

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शेख चिल्ली के कारनामें  तबीअत की खराबी बचपन की ही एक और घटना है, चिल्ली मियां एक रईस के यहां नौकर हो गये। उनका काम घोड़े की देखभाल, चारा- भूसा देना, नहलाना था। एक दिन रईस घोड़े को दवा पिला रहा था, चिल्ली ने पूछा - "घोड़े को क्या हुआ?" "बीमार है, दवा पिला रहा हूं।" रईस ने जवाब दिया। होनी कुछ ऐसी हुई कि अगले दिन घोड़ा मर गया । रईस के सामने चिल्ली पहुंचे, तो उसने पूछा - "घोड़े का क्या हाल है?" चिल्ली घोड़े को मरा हुआ देखकर आये थे। बोले - "हाल-चाल कुछ खास नहीं, वह सदा के लिए सो गया है । " बोझ हल्का हो गया बचपन की बात है - एक दिन शेखजी सर पर नमक की गठरी लादे जा रहे थे। राह में नदी पड़ती थी। अचानक उनका पांव फिसल गया तथा वे गठरी समेत पानी में गिर पड़े। पानी गहरा नहीं था, इसीलिए जल्दी बाहर निकल आये, पर उनको यह जानकर बड़ी खुशी हुई कि गठरी का बोझ कुछ हल्का हो गया था। वे बड़े आराम से घर पहुंचे। दूसरे दिन रूई का बण्डल लादकर आ रहे थे। राह में नदी देखकर उन्होंने नदी में बण्डल फेंक दिया कि जारा हल्का कर लूं। पर वे हैरान कि बण्डल उनसे उठाया न गया और ...

दास्तान-ए- शेखचिल्ली

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दास्तान-ए- शेखचिल्ली खुरपे का बुखार  एक बार माता-पिता ने शेख चिल्ली को घास खोदने के लिए जंगल में भेज दिया उन दिनों चिल्ली बारह वर्ष के थे। दोपहर तक उन्होंने एक गट्ठर घास खोद ली और गट्ठर उठाकर घर चले आए। घरवाले बड़े खुश हुए। क्योंकि पहली बार चिल्ली ने कोई काम किया था। परन्तु जब कई घंटे बीत गए तो चिल्ली को याद आया कि घास खोदने के लिए जिस खुरपे को वह ले गए थे, वह तो जंगल में ही रह गया है। अतः शेख चिल्ली जंगल की तरफ दौड़े और जाकर देखा कि तेज धूप में पड़ा पड़ा खुरपा गर्म हो गया था। चिल्ली ने चिलचिलाती धूप में पड़ा हुआ अपना गर्म तवे-सा तपता खुरपा मूठ से पकड़ा। मूठ भी गर्म हो गई थी। अब तो चिल्ली घबराए । " अरे खुरपे को तो बुखार चढ़ गया है।' मन ही मन चिल्ली चिन्तित हुए और हकीमजी के पास जाकर बोले-"हकीम साहब! हमारे खुरपे को बुखार हो गया है, जरा दवाई दीजिए न। " हकीम समझ गया कि चिल्ली शरारत कर रहा है। उसने भी वैसा ही उत्तर दिया- " अरे हां, वाकई इसे तो बुखार है। जाओ, जल्दी से इसे रस्सी से बांधकर कुएं में डुबकी लगवा दो। तब भी बुखार न उतरे तो मेरे पास लाना।" च...

शेख चिल्ली की चिट्ठी

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शेख चिल्ली की चिट्ठी बच्चो, तुमने मियाँ शेख चिल्ली का नाम सुना होगा। वहीं शेख चिल्ली जो अकल के पीछे लाठी लिए घूमते थे। उन्हीं का एक और कारनामा तुम्हें सुनाएँ । मियाँ शेख चिल्ली के भाई दूर किसी शहर में आना पड़ा। बसते थे। किसी ने शेख चिल्ली को बीमार होने की खबर दी तो उनकी खैरियत जानने के लिए शेख ने उन्हें खत लिखा । उस जमाने में डाकघर तो थे नहीं, लोग चिट्ठियाँ गाँव के नाई के जरिये भिजवाया करते थे या कोई और नौकर चिट्ठी लेकर जाता था। लेकिन उन दिनों नाई उन्हें बीमार मिला। फसल कटाई का मौसम होने से कोई नौकर या मजदूर भी खाली नहीं था अत मियाँ जी ने तय किया कि वह खुद ही चिट्ठी पहुँचाने जाएँगे। अगले दिन वह सुबह-सुबह चिट्टी लेकर घर से निकल पड़े। दोपहर तक वह अपने भाई के घर पहुँचे और उन्हें चिट्ठी पकड़ाकर लौटने लगे। उनके भाई ने हैरानी से पूछा- अरे ! चिल्ली भाई ! यह खत कैसा है ? और तुम वापिस क्यों जा रहे हो? क्या मुझसे कोई नाराजगी है? भाई ने यह कहते हुए चिल्ली को गले से लगाना चाहा। पीछे हटते हुए चिल्ली बोले- भाई जान, ऐसा है कि मैंने आपको चिट्ठी लिखी थी। चिट्ठी ले जाने को नाई नहीं मिला तो उ...

गधा और धोबी

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गधा और धोबी एक निर्धन धोबी था। उसके पास एक गधा था। गधा काफी कमजोर था क्योंकि उसे बहुत कम खाने-पीने को मिल पाता था। एक दिन, धोबी को एक मरा हुआ बाघ मिला। उसने सोचा, “मैं गधे के ऊपर इस बाघ की खाल डाल दूँगा और उसे पड़ोसियों के खेतों में चरने के लिए छोड़ दिया करूँगा। किसान समझेंगे कि वह सचमुच का बाघ है और उससे डरकर दूर रहेंगे और गधा आराम से खेत चर लिया करेगा।” धोबी ने तुरंत अपनी योजना पर अमल कर डाला। उसकी योजना काम कर गई। एक रात, गधा खेत में चर रहा था कि उसे किसी गधी की रैंकने की आवाज सुनाई दी। उस आवाज को सुनकर वह इतने जोश में आ गया कि वह भी जोर-जोर से रेंकने लगा। गधे की आवाज सुनकर किसानों को उसकी असलियत का पता लग गया और उन्होंने गधे की खूब पिटाई की! इसीलिए कहा गया है कि अपनी सचाई नहीं छिपानी चाहिए।

चालाक गीदड

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चालाक गीदड    एक जंगल में एक गुफा थी।उस गुफा में एक गीदड़ रहता था। एक दिन वहा खाने की तलाश में जंगल में गया । लेकिन उसकी गुफा में एक शेर आ कर बैठ गया।थोड़ी देर बाद जब वह वापस आया तो उसे गुफा के बाहर किसी के पैरों के निशान दिखाई दिये। उसे यह निशान किसी बड़े एवं खतरनाक जानवर के प्रतीत हुए उसे किसी खतरे का एहसास हुआ। गीदड़ बहुत चालाक और सयाना था। उसने सोचा कि गुफा में जाने से पहले देखे मामला क्या है। उसने जोर से गुफा को आवाज़ लगाई "गुफा ! ओ गुफा।" लेकिन जवाब कौन देता? गीदड़ ने फिर आवाज़ लगाई, "अरे मेरी गुफा, तू जवाब क्यों नही देती ? आज तुझे क्या हो गया ? हमेशा मेरे लौटने पर तू मेरा स्वागत करती है। आज क्या हो गया। अगर तूने जवाब न दिया तो मैं किसी दूसरी गुफा में चला जाऊंगा।" गीदड़ की बात सुनकर शेर ने सोचा कि यह गुफा तो बोलकर गीदड़ का स्वागत करती है। आज मेरे यहां होने की वजह से शायद डर गई है। अगर गीदड़ का स्वागत नहीं किया तो वह चला जाएगा। ऐसा विचार कर शेर अपनी भारी आवाज़ में जोर से बोला- आओ आओ मेरे दोस्त, तुम्हारा स्वागत है ।" शेर की आवाज़ सुनकर गीदड़ वहा...

घमंडी मोर और बुद्धिमान सारस

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घमंडी मोर और बुद्धिमान सारस एक जंगल में एक मोर रहता था। वह बहुत घमण्डी था और अपने सौन्दर्य का बखान करता रहता था। वह प्रतिदिन देश के तट पर जाता, पानी में अपना प्रतिबिंब देखती और उसकी सुंदरता की प्रशंसा करता। वह कहता जरा मेरी पूँछ देखो। मेरे पंखों के रंग देखो। वास्तव में मैं संसार के सभी पक्षियों से आवक सुन्दर हूँ। एक दिन मोर को नदी के किनारे एक सारस दिखायी दिया। सारस को देखकर वह पीछे हट गया। बगुले का अपमान करते हुए उसने कहा, तू कैसी रंगहीन चिड़िया है! तेरे पंख बहुत सादे और पीले हैं। सारस ने कहा, तुम्हारे पंख सचमुच बहुत सुन्दर हैं। मेरे पंख तुम्हारे पंखों जितने सुंदर नहीं हैं। लेकिन क्या आप अपने पंखों से ऊंची उड़ान भर सकते? नही ना जबकि मैं अपने पंखा में बहुत की उड़ान भर सकता हूँ। यह कहकर सारस ऊपर आकाश में बहुत ऊंचा उड़ गया और मोर लज्जित होकर उसकी ओर देखता रह गया।

सुन्दर घोडा

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सुन्दर घोडा एक जगह एक सुन्दर घोडा चरा करता था लेकिन उसको हमेशा डर लगा रहता था क्यूंकि उसी इलाके में एक बाघ में कभी कभार दिख जाता था। लेकिन फिर भी चारा खाने वह घोडा उस इलाके में रोज निकलता था। एक दिन उसको वही पर एक शिकारी मिला। घोड़े ने उस शिकारी से अपनी परेशानी साझा की। शिकारी ने बोला "मुझे डर नहीं लगता क्यूंकि मेरे पास बन्दूक है और इससे मै किसी भी जानवर को मार गिरा सकता हु । "यह सुन कर घोड़े ने शिकारी से पूछा की क्या शिकारी उसकी मदद कर सकता है। शिकारी ने उसको बोला "मेरे साथ रहो, तुम्हारी जान को कभी ख़तरा नहीं होगा। " घोडा मान गया और वह शिकारी उसके ऊपर बैठ कर करके उसको शहर के एक अस्तबल में चोर छोड़ दिया। घोडा सोचना लगा "मुझे जान से खतरा तो हट गया लेकिन मेरी आजादी छीन गयी।

ढोलू और मोलू

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ढोलू और मोलू   ढोलू-मोलू दो भाई थे दोनों खूब खेलते पढ़ाई करते और कभी-कभी खूब लड़ाई भी करते थे। एक दिन दोनों अपने घर के पीछे खेल रहे थे। वहां एक कमरे में दिल्ली के दो छोटे-छोटे बच्चे थे बिल्ली की मां कहीं गई हुई थी. दोनों अकेले थे उन्हें भूख लगी हुई थी इसलिए खूब रो रहे थे ढोलू-मोलू ने दोनों बिल्ली के बच्चों की आवाज सुनी और अपने दादाजी को बुला कर लाए। दादा जी ने देखा दोनों बिल्ली के बच्चे भूखे थे दादा जी ने उन दोनों दिल्ली के बच्चों को खाना खिलाया और एक एक कटोरी दूध पिलाई। अब बिल्ली की भूख शांत हो गई। वह दोनों आपस में खेलने लगे। इसे देखकर ढोलू-मोलू बोले बिल्ली बच गई दादाजी ने ढोलू-मोलू को शाबाशी दी। नैतिक शिक्षा दूसरों की भलाई करने से ख़ुशी मिलती है। Moral of this short hindi story-Always try to help others, It will give real pleasures 

जो होता है अच्छे के लिए होता है"

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“ जो होता है अच्छे के लिए होता है"  एक बार की बात है ।एक राजा तलवारबाजी कर रहा था तो अचानक उसकी अंगुली कट गई ,तो पास खड़ा मंत्री अचानक बोल उठा, 'राजा साहब चिंता न करें, जो होता है, अच्छे के लिए होता है। ' यह सुनते ही राजा को गुस्सा आ गया ।राजा ने उस मंत्री को कारागृह में बंद करने का आदेश दे दिया और | कहा कि इसको फांसी पर चढ़ा दिया जाए । यह सुनकर मंत्री घबरा गया, उसने राजा से निवेदन किया- 'महाराज! मैंने आपके यहां इतने वर्षों | तक काम किया क्या आप मेरी अंतिम इच्छा पूरी नहीं राजा बोला, 'ठीक है, बताओ क्या है तुम्हारी अंतिम इच्छा ?' मंत्री बोला, 'कृपया मुझे 10 दिन का समय दीजिए। उसके बाद आप मुझे जो चाहे वो सजा दे दीजिए,' राजा ने उसकी अंतिम इच्छा मान ली. साथ रख लिया. राजा दूसरे दिन अपने सैनिकों के साथ जंगल में शिकार के लिए निकले। राजा जंगल में अपने सैनिकों से बिछड़ गए और रास्ता भटक गए । रास्ता ढूंढते हुए राजा वनवासियों के बीच पहुंच गए, जो बलि देने के लिए किसी को ढूंढ रहे थे. वनवासियों ने राजा को पकड़ लिया और वन की देवी को बलि देने के लिए ले गए । बल...

दो मुर्गे और एक बाज़

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दो मुर्गे और एक बाज़ एक बार की बात है, दो मुर्गे एक पहाड़ी को लेकर लड़ रहे थे। वे दोनों अपनी पूरी ताकत से लड़ रहे थे, क्योंकि जो भी जीतेगा वह पहाड़ी का राजा बनेगा। अंत में एक मुर्गा जीत गया और दूसरा मुर्गा लड़ाई में गंभीर रूप से घायल हो गया और हार गया। जीतने वाले मुर्गा ने अपनी जीत की घोषणा करने के लिए एक ऊँची उड़ान भरी और तेज आवाज में चिल्ला कर सबको अपनी जीत के बारे में बताया। इतने में एक बाज़ उड़ता हुआ आया और इस घमण्डी मुर्गे को देखा। उसने झपट्टा मारा और मुर्गे को पकड़ कर दूर ले गया। दूसरा मुर्गा जो हार गया था वह नीचे से सब कुछ देख रहा था, वह जल्दी से बाहर आया और खुद को पहाड़ी का राजा घोषित कर दिया। शिक्षा : जरुरत से ज्यादा घमंड सेहत के लिए खतरनाक होता है।

हाथी की रस्सी

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हाथी की रस्सी एक आदमी एक मंदिर के सामने से गुजर रहा था जिसके परिसर में एक हाथी बंधा था। वह हाथी मस्ती से उसके आगे डाली गई घास-फूस खा रहा था। राहगीर यह देखकर ठिठक ही नहीं गया अपितु परेशान हो गया कि इतने विशाल जानवर को एक छोटी सी रस्सी से, वो भी सामने एक टांग पर बांधकर रखा गया था। न कोई जंजीर और न कोई पिंजरा यह बात तो जाहिर सी थी कि इतना विशालकाय हाथी कभी भी में इस रस्सी को तोड़कर जा सकता था, मगर किसी कारण से ऐसा नहीं कर रहा था। तभी उस राहगीर ने हाथी के प्रशिक्षक को देखा तो पूछा कि यह जानवर यहाँ खड़ा है, भागने की कोई चेष्टा भी नहीं कर रहा | आखिर क्यों ? प्रशिक्षक ने बताया कि जब यह छोटा था, तब इसको इसी साइज की रस्सी से बांधते थे, जो कि इसके लिए सही तब यह भान था कि यह उसको तोड़ नहीं सकता। जब यह बड़ा गया तब भी हमने इसको इसी रस्सी से बांधना जारी रखा। इस तरह इसी रस्सी को मानस में लेकर बड़ा हुआ। इसके दिमाग में यह बात घर कर चुकी है कि यह इस बंधन को नहीं तोड़ सकता। यही विश्वास इसको यहीं पर टिकाये हुए है। हमारे जीवन में अक्सर ऐसा होता है। हम एक विश्वास या धारणा को ही अंतिम सत्य मानकर ...

दिल छू लेने वाली कहानी

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दिल छू लेने वाली कहानी  रोम में एक बहुत प्रसिद्ध लोहार हुआ। उसकी प्रसिद्धि सारी दुनिया में थी, क्योंकि वो जो भी बनाता था, वो चीज़ बेजोड़ होती थी। उस लोहार, की दुकान पर बनी तलवार का कोई सानी न था। और उस लोहार की दुकान पर बने सामानों का सारे जगत में आदर था। दूर-दूर के बज़ारों में उसकी चीजें बिकती थीं, उसका नाम बिकता था। फिर रोम पर हमला हुआ और रोम में जितने प्रतिष्ठित लोग थे, पकड़ लिए गए। रोम हार गया वो लोहार भी पकड़ लिया गया वो तो काफ़ी ख्यातिलब्ध आदमी था। उसके बड़े कारखाने थे और उसके पास बड़ी धन-सम्पत्ति थी, बड़ी प्रतिष्ठा थी वो भी पकड़ लिया गया। तीस, रोम के प्रतिष्ठित, जो सर्वशक्तिशाली आदमी थे, उनको पकड़ के दुश्मनों ने ज़ंजीरों और बेड़ियों में बाँध के पहाड़ों में फेंक दिया, मरने के लिए। जो उनतीस थे, वो तो रो रहे थे, लेकिन वो लोहार शान्त था। आखिर उन उनतीसों ने पूछा कि, "तुम शान्त हो, हमें फेंका जा रहा है, जंगली जानवरों को खाने के लिए उसने कहा, "फ़िकिर मत करो, मैं हूँ, मैं लोहार हूँ। ज़िन्दगी भर मैंने बेडियाँ और हथकड़ियाँ बनाई हैं, में खोलना भी जानता हूँ। तुम घबड़ाओ ...

"हक का भोजन "

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"हक का भोजन " एक दिन की बात है राजा विक्रमादित्य की राजसभा में एक महात्मा आए। राजा विक्रमादित्य ने उनसे पूछा मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हूं? महात्मा ने कहा, मुझे भूख लगी है. कृपया भोजन दे दीजिए।' राजा विक्रमादित्य ने महात्मा जी को भोजन कराने का आदेश दे दिया। जब भोजन सामने आया तो संत ने रोटी देखकर राजा विक्रमादित्य से कहा राजन्, आपने जो भोजन इस थाल में रखा है, वह हक का तो है ना? हक यानी अधिकार । ये बात सुनकर विक्रमादित्य चौंक गए कि ये हक का भोजन क्या होता है? राजा विक्रमादित्य ने कहा आप बताइए, मैंने तो पहली बार सुना है कि हक का भी भोजन होता है।' संत ने कहा। गांव में जाइए और वहां आपको एक बूढ़ा व्यक्ति मिलेगा। उससे पूछिएगा। जब राजा विक्रमादित्य बताए गए पते पर पहुंचे तो वहां एक जुलाहा सूत कात रहा था। राजा विक्रमादित्य ने उस बूढ़े जुलाहे से पूछा । ये हक का भोजन किसे कहते हैं? उस बूढ़े ने कहा, आज मेरी इस पत्तल में जो भोजन है, उसमें आधा हक का है और आधा बेहक का है। राजा विक्रमादित्य ने बूढ़े व्यक्ति से कहा कृपया ये बात मुझे ठीक से समझाएं। बूढ़े ने कहा, एक दिन मैं ...

मूल्ला नसरुद्दीन के कारनामें

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मूल्ला नसरुद्दीन के कारनामें  एक मुसलमान फकीर हुआ, नसरुद्दीन वह एक नदी पार कर रहा था नाव में बैठ कर रास्ते में दोनों की बातचीत हुई। नसरुद्दीन कुछ बड़ा जानी आदमी समझा जाता था। ज्ञानियों को हमेशा यह कोशिश रहती है कि किसी को अज्ञानी सिद्ध करने का मौका मिल जाए तो वह छोड़ नहीं सकते हैं। तो उसने, मल्लाह अकेला था, मल्लाह से पूछा कि भाषा जानते हो? उस मल्लाह ने कहा भाषा! बस जितना बोलता हूं उतना ही जानता हूं। पढ़ना लिखना मुझे कुछ पता नहीं है। नसरुद्दीन ने कहा तेरा चार आना जीवन बेकार हो गया; क्योंकि जो पढ़ना नहीं जानता उसकी जिंदगी में क्या उसे ज्ञान मिल सकता है? बिना पढ़े, पागल ! कहीं ज्ञान मिला है? लेकिन मल्लाह चुपचाप हंसने लगा। फिर आगे थोड़े चले और नसरुद्दीन ने पूछा कि तुझे गणित आता है? उस मल्लाह ने कहा नहीं, गणित मुझे बिलकुल नहीं आता है, ऐसे ही दो और दो चार जोड़ लेता हूं यह बात दूसरी है। नसरुद्दीन ने कहा : तेरा चार आना जीवन और बेकार चला गया; क्योंकि जिसे गणित ही नहीं आता, जिसे जोड़ ही नहीं आता है वह जिंदगी में क्या जोड़ सकेगा, क्या जोड़ पाएगा। अरे, जोड़ना तो जानना चाहिए, तो कुछ...

बादलों की हड़ताल

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बादलों की हड़ताल  एक बार बादलों की हड़ताल हो गई बादलों ने कहा अगले दस साल पानी नहीं बरसायेंगे। ये बात जब किसानों ने सुनी तो उन्होंने अपने हल वगैरह पैक कर के रख दिये लेकिन एक किसान अपने नियमानुसार हल चला रहा था। कुछ बादल थोड़ा नीचे से गुजरे और किसान से बोले क्यों भाई पानी तो हम बरसाएंगे नहीं फिर क्यों हल चला रहे हो? किसान बोला कोई बात नहीं जब बरसेगा तब बरसेगा लेकिन मैं हल इसलिए चला रहा हूँ कि मैं दस साल में कहीं हल चलाना न भूल जाऊँ । अब बादल भी घबरा गए कि कहीं हम भी बरसना न भूल जाएं। तो वो तुरंत बरसने लगे और उस किसान की मेहनत जीत गई। जिन्होंने सब pack करके रख दिया वो हाथ मलते ही रह गए, सो लगे रहो भले ही परिस्थितियां अभी हमारे विपरीत है, लेकिन आने वाला समय निःसंदेह हमारे लिये अच्छा होगा । Moral of the story : - कामयाबी उन्हीं को मिलती है जो विपरीत परिस्थितियों में भी मेहनत करना नहीं छोड़ते हैं। जो पानी से नहाते है वो लिवास बदल सकते हैं। पर जो पसीने से नहाते है। वो इतिहास बदल सकते हैं। 

आंसू और हंसी

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आंसू और हंसी नदी के तट पर संध्या के समय एक लकड़बग्घा एक घड़ियाल से मिला। उन्होंने रुककर एक दूसरे का अभिवादन किया । लकड़बग्घे ने कहा- आपके दिन कैसे चल रहे हैं जी ? घड़ियाल ने जवाब दिया- मेरे दिन तो बुरे जा रहे हैं। जब कभी मैं अपने दुख-दर्द मैं रोता हूं, तब प्राणी हमेशा यह कहते हैं कि यह तो घड़ियाली आंसू हैं। इससे मैं बेहद आहत हूं। तब लकड़बग्घे ने कहा- आप अपने दुख-दर्द की बात करते हैं लेकिन एक पल मेरे बारे में भी सोचें। मैं संसार के सौंदर्य, उसके आश्चर्य और उसके चमत्कारों को देखता हूं और मारे खुशी के हंस देता हूं। जैसे दिन हंसता है। लेकिन जंगल के लोग कहते हैं- यह तो बस एक लकड़बग्घे की हंसी है। खलील जिब्रान इस कथा के माध्यम से दुनिया की दृष्टि को रेखांकित कर रहे हैं जो हर गतिविधि की अपने ढंग से व्याख्या करती है। बोध कथा बाज और लवा बाज और लवा पक्षी एक ऊंची पहाड़ी की चट्टान पर मिले। लवा ने कहा- नमस्ते जी। बाज ने तिरस्कार से देखा और धीमे से कहा- नमस्ते । लवा पक्षी ने कहा- उम्मीद है आपकी तरफ सब ठीक-ठाक है जी । बाज ने कहा- हां हमारी तरफ सब ठीक है लेकिन तुम्हें पता नहीं कि हम परिंद...

मुस्तफा

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मुस्तफा  300 साल पहले की बात है, मुस्तफा नाम का एक गुलाम, अपने क्रूर राजा से परेशान होके जंगल में भाग जाता है। वहां अचानक से एक लंगड़ाता हुआ शेर दिखाई देता है। वह चुपके से पेड़ के पीछे से शेर की सारी हरकतों को देख रहा होता है। उसको समझ में आता है की शेर के पाव में कुछ अटका पड़ा है जिसको बार बार शेर हटाने की कोशिश कर रहा, लेकिन उसमे असफल रहता है। किसी तरह हिम्मत जुटा के मुस्तफा शेर के पास जाता है और धीरे से उसको पुचकारना चालू करता है। शेर पहले तो गुर्राता है लेकिन फिर शांत हो जाता है। धीरे से मौका पाके मुस्तफा शेर के पैर से काटा निकाल देता है और फिर जंगल में निकल पड़ता है। कुछ दिनों बाद वही क्रूर राजा जंगल में शिकार करने आता है और वह कई जानवरो को पकड़ लेता है जिसमे की वह शेर भी शामिल होता है। इसी बिच मुस्तफा भी राजा के सैनिको द्वारा पकड़ लिया जाता है और उसको राजा के सामने पेश किया जाता है । मुस्तफा को देखे ही राजा का खून खौल उठता है और वह अपने सैनिको से मुस्तफा को शेर के पिंजरे में डालने को कहता है ताकि शेर उसको देखते ही उसको मार डाले। पिंजरे में डाले जाने पे मुस्तफा की ...

कविताएं

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कविताएं कोयल रानी कोयल रानी, कोयल रानी,  काली काली बड़ी सयानी।  किस झरने का पीती पानी,  हो गई जिससे मीठी वाणी? लाल टमाटर गोल गोल ये लाल टमाटर होते  जैसे गाल टमाटर फूर्ती लाता  लाल टमाटर स्वास्थ बढाता  लाल टमाटर मस्त बनाता लाल टमाटर  हम खायेंगे लाल टमाटर खून बढाता लाल टमाटर बन जायेंगे लाल टमाटर गोल-गोल सूरज गोल, चंदा गोल, मम्मी जी की रोटी गोल,  पापा जी के पैसे गोल ।  दादा जी का डंडा गोल,  दादी जी का चश्मा गोल ।  हम भी गोल, तुम भी गोल  सारी दुनिया गोल मटोल हाथी राजा बहुत भले हाथी राजा बहुत भले।  सूँड़ हिलाते कहाँ चले?  कान हिलाते कहाँ चले?  मेरे घर भी आओ ना,  हलवा-पूरी खाओ ना।  आओ बैठो कुरसी पर,  कुरसी बोली, चटर-पटर । गुड़िया रानी यह है मेरी गुड़िया रानी,  मुझसे सुनती रोज़ कहानी।  खाती रोटी, पीती पानी,  कभी नहीं करती शैतानी । स्कूल बस जिस पर लिखा है नंबर दस, देखो आ गई हमारी बस ।  सुबह-सवेरे है यह आए,  पौं पौं, पौं पौं शोर मचाए ।  घर से स्कूल ले जाती है,  स...

शेर और गाय

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शेर और गाय एक गाँव में बहुत सारी गायें थे और वो चारा के लिए पास के लिए बगल वाले जंगल में जाते थे। उसी जंगल में एक बहुत खूंखार शेर रहता था। जब भी गाये जंगल में जाती थी, शेर एक गाय को चुन कर उसको मार देता था और उसका मांस खा जाता था। इस बात को लेके गायों ने एक बैठक बुलाई और उसमे समझदार गाय ने कहा " आप लोग सब जानते है की शेर हम में से हर बार एक को मार के खा जाता है और उसका कारण यह की हम सब अलग अलग जंगल में चरने के लिए जाते है। आज से हम सब लोग एक साथ चलेंगे और चरेंगे। "सभी गायें जंगल में निकल पड़ी और जैसे ही जंगल में शेर दिखा, सभी गायें झुण्ड में तरफ धावा बोल दिया। शेर यह देख के डर गया और वहां से भाग गया। MORAL: विभाजित हम गिर जाते हैं। संयुक्त हम खड़े। एकता में शक्ति है।

मुर्गी और बाज़

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मुर्गी और बाज एक बाज़ और एक मुर्गी आपस में बात कर रहे थे। बाज़ ने मुर्गी से कहा, "तुम एक अहसान फरामोश पक्षी हो ।" "तुमने ऐसा क्यों कहा ?" मुर्गी ने गुस्से से पूछा। बाज़ ने जवाब दिया, "तुम्हारा मालिक तुम्हें खिलाता है, अगर वे तुम्हें पकड़ने आते हैं, तुम एक कोने से दूसरे कोने में उड़ने लगते हो। तुम एक कृतघ्न हो। मैं एक जंगली पक्षी हूं, फिर भी मैं हमेशा उन लोगों को खुश करता हूं जो मुझ पर दया करते हैं। मुर्गी ने चुपचाप पूछा, "मैंने सैकड़ों मुर्गियों को भूनते देखा है। अगर आप मेरी जगह होते, तो आप अपने स्वामी के पास कभी नहीं जाते। जबकि मैं केवल कोने से कोने तक उड़ती हूं, आप पहाड़ी से पहाड़ी तक उड़ते हैं।" शिक्षा : बिना पूरी बात जाने, किसी निर्णय पर नहीं पहुंचना चाहिए।

अजीब शर्त गड़ेरिये की

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अजीब शर्त गड़ेरिये की एक राजा था, उसने अपने मंत्रियों से सवाल पूछा कि ऐसा कौन सा कुआं है, जिसमें गिरने के बाद आदमी बाहर नहीं निकल पाता ? इस प्रश्न का उत्तर कोई नहीं दे पाया. आखिर में राजा ने अपने राज पंडित से कहा कि इस प्रश्न का उत्तर 7 दिनों में बताओ, नहीं तो तुम्हें नगर से बाहर निकाल दिया जायेगा । राज पंडित उस सवाल का जवाब ढूंढने निकला । 6 दिन बीतने के बाद भी राज पंडित को जवाब नहीं मिला। निराश होकर जब वो जंगल से गुजर रहा था, तभी उसकी मुलाकात एक गड़ेरिए से हुई. गड़ेरिए ने राज पंडित की उदासी का कारण पूछा । राज पंडित ने सारी बात बता दी। गड़ेरिए ने कहाः मेरे पास पारस पत्थर है, उससे आप कितना भी सोना बना सकते हैं। फिर आपको राजा के पास जाने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी, लेकिन इसके पहले आपको मेरा चेला बनना पड़ेगा । पहले तो राज पंडित ने सोचा कि मैं इस मामूली गड़ेरिए का चेला क्यों बनूं. लेकिन बाद में पारस पत्थर के लालच में राज पंडित ने गड़ेरिए का चेला बनना स्वीकार कर लिया। इसके बाद गड़ेरिया बोला- पहले भेड़ का दूध पीओ फिर चेले बनो।  राजपंडित ने कहा कि यदि ब्राह्मण भेड़ का दूध पीयेगा ...

दो दोस्त और भालू

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दो दोस्त और भालू एक दिन दो युवा दोस्त राम और श्याम ने जंगल जाने का फैसला किया, और किसी भी खतरे के खिलाफ एक-दूसरे की मदद करने का वादा भी किया। अचानक जंगल के रास्ते में एक भालू ने उन पर हमला कर दिया। राम जल्दी से दौड़ा और एक पेड़ पर चढ़ गया, दूसरी ओर श्याम के पास पर्याप्त समय नहीं था। बचने के लिए वह जमीन पर लेट गया, जैसे वह मर गया हो । भालू तेजी से आगे बढ़ा और श्याम के पास आया, और ऐसा लगा जैसे भालू राम के कान में फुसफुसा रहा हो। श्याम ने अपनी सांस रोककर रखा और कुछ देर बाद भालू चला गया। राम पेड़ से नीचे आया और पूछा श्याम भालू ने आपके कान में क्या फुसफुसाया श्याम ने जवाब दिया भालू ने मुझे स्वार्थी दोस्तों से दूर रहने के लिए कहा जो खतरे के समय भाग जाते हैं। नैतिक शिक्षा : हमें भगवान की योजना में विश्वास रखना चाहिए।

चतुर किसान

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चतुर किसान एक बार एक किसान के पास एक बकरी, घास का एक गट्ठर और एक शेर था। उसे एक छोटी नाव पर एक नदी पार करनी थी। जो एक बार में उनमें से केवल दो को ही ले जा सकता था। किसान मुश्किल में था कि अगर वह पहले शेर को ले जाए तो उसकी अनुपस्थिति में बकरी घास खा जाएगी। यदि वह घास ले ले तो शेर बकरी को खा जाएगा। अंत में, उसने सही समाधान ढूंढ लिया । उसने पहले बकरी को गया और नदी के दूसरी तरफ छोड़ दिया। फिर उसने शेर को अपने दूसरे चक्कर में ले गया। वह शेर को छोड़कर बकरी को वापस ले आया । बकरी को इस ओर छोड़कर, वह घास की गट्ठर के साथ ले गया। वह शेर के पास घास छोड़ कर बकरी को लेने के लिए अंत में लौट आया। इस प्रकार वह बिना किसी नुकसान के नदी पार कट गया। नैतिक शिक्षा : छोटी सी सूझबूझ भी आगे बहुत काम आती है।

दिल का छू लेने वाली कहानी

दिल का छू लेने वाली कहानी एक बार एक लडके को अपनी क्लास की एक लडकी से प्यार हो गया ओर लडकी को भी लडके संग प्यार हो गया, लडका लडकी से कहता था कि मैं बगैर दिल के जी रहा हूँ क्योंकि मेरा दिल तुम्हारे पास हैं      कुछ दिनों के बाद लडके का इरादा बदल जाता हैं और वह लडकी से कहता हैं कि अब हम साथ में नहीं रह सकते क्योंकि मेरे घरवालों ने मेरे लिये दूसरी लड़की को पसन्द किया हैं और मैं उनकी पसन्द को ही अपनी पसन्द मानता हूँ इसलिये अब हम अलग हो जाते हैं,  लड़की ने लड़के की बात मन जाति है और दोनो अलग हो जाते है और कुछ दिनों के बाद लडके की शादी हो जाती हैं, लड़की ने भी लडके को शादी का गिफ्ट भेजा, लडके ने जैसे ही गिफ्ट को खोला तो वह दंग गया। और लडका  फूट-फूट कर रोने लगा । क्योंकि उस गिफ्ट में खून से लथपथ उस लडकी का दिल था और उसके साथ एक पत्र था और उसमें उसमें लिखा था कि पागल तुम अपना दिल तो मेरे पास ही छोड़ गये हो उसे तो वापस ले लो वरना अपनी पत्नी को क्या दोगें । 

जीवन का संघर्ष

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जीवन का संघर्ष एक व्यक्ति को तितली का एक कोकून मिला, जिसमें से तितली बाहर आने के लिए प्रयत्न कर रही थी । तितली के प्रयासों से कोकून में एक छोटा सा छेद बन गया था, जिसमें से बाहर निकलने को तितली आतुर तो थी लेकिन वह छेद बहुत छोटा था और तितली का उस छेद में से बाहर निकलने का संघर्ष जारी था। उस व्यक्ति से यह देखा नहीं गया और वह जल्दी से कैंची ले आया और उसने कोकून को एक तरफ से काट कर छेद बड़ा कर दिया । तितली आसानी से बाहर तो आ गई लेकिन वह अभी पूरी तरह विकसित नहीं थी । उसका शरीर मोटा और भद्दा था तथा पंखों में जान नहीं थी। दरअसल प्रकृति उसे कोकून के भीतर से निकलने के लिए संघर्ष करने की प्रक्रिया के दौरान उसके पंखों को मजबूती देने, उसकी शारीरिक शक्ति को बढ़ाने व उसके शरीर को सही आकार देने का कार्य भी करती है। जिससे जब तितली स्वयं संघर्ष कर, अपना समय लेकर कोकून से बाहर आती है तो वह आसानी से उड़ सकती है। प्रकृति की राह में मनुष्य रोड़ा बन कर आ गया था, भले ही उसकी नीयत तितली की सहायता करने की रही हो। नतीजन तितली कभी उड़ ही नहीं पाई और जल्द ही काल कवलित हो गई। सीख: संघर्ष के बाद ही कोई भी...

किसी को हल्के में न ले

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किसी को हल्के में न ले मुनि श्री 108 प्रमाणसागर जी के प्रवचनांश एक दिन एक व्यक्ति के पैर के अँगूठे में चोट लग गई ओर वह चिकित्सक के पास पहुँचा। जब डॉक्टर को दिखाया तो डॉक्टर ने जांच की और कहा- भैया अँगूठा काटना पड़ेगा क्योंकि जहर फैल गया है। मरीज ने कहा-डॉक्टर साहब अँगूठा यदि कट जायेगा तो अच्छा नहीं रहेगा, आप तो दवाई दे दो और कैसे भी हो ठीक कर दो। डॉक्टर ने कहा ठीक है कोशिश करते हैं। फिर मरीज आठ दिन बाद चिकित्सक के पास गया और कहा अब तो पूरे पंजे में दर्द हो रहा है। डॉक्टर ने जांच की और कहा भैया अब तो पूरे पंजे में जहर फैल गया है, पूरा पंजा काटना पड़ेगा। मरीज ने कहा आप तो ऐसा करो डॉक्टर साहब अँगूठा काट दो, पंजा रहने दो। मरीज पन्द्रह दिन बाद वापस डॉक्टर के पास गया तो घुटने तक दर्द हो गया था। डॉक्टर ने जांच की ओर कहा भैया अब तो आधा पैर काटना पड़ेगा। मरीज ने कहा कि आप तो पंजा काट दो। कुछ दिन बाद पता लगा कि जीवन से ही हाथ धोना पड़ गया। सारे शरीर में जहर फैल गया और सब नष्ट हो गया। एक छोटे से घाव पर ध्यान न देने से वह बढ़कर जान लेवा बन सकता है। इसी प्रकार मन की कषाय (क्रोध, मान, मा...

शिष्य की पात्रता

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शिष्य की पात्रता  मुनि श्री 108 प्रमाणसागर जी के प्रवचनांश एक बार राजा जनक के आमंत्रण पर संत व्यास जी उन्हें कथा सुनाने के लिये आए। कथा बड़ी होने से कई दिनों से चल रही थी। एक दिन शासकीय कार्यों के कारण राजा को आने में थोड़ी देर हो गई। व्यास जी जनक की प्रतीक्षा करते रहे। इस वजह से अन्य शिष्यों को बहुत बुरा लगा और वे व्यास जी से विनयपूर्वक शिकायत करते हुए बोले, "आप जैसे संत पुरुषों के द्वारा राजा-महाराजाओं की प्रतीक्षा करना अच्छा नहीं लगता। अध्यात्म के दरबार में सब समान होते है! क्या हम लोगों में कोई पात्रता नहीं है?" उस समय व्यास जी ने कोई जबाव नहीं दिया फिर जब राजा जनक आए तब कथा प्रारम्भ हुई और इसके साथ ही उन्होंने अपनी माया से महल में आग लगा दी। राजमहल में आग की भनक लगते ही, वहाँ जितने लोग थे सब सभा छोड़कर भागने लगे सबने सोचा कहीं आग हमारी कुटिया तक न फैल जाए। सभा में केवल दो व्यक्ति बचे थे व्यास जी व राजा जनक । व्यास जी ने अपनी माया समेटी और आग बुझ गयी। जब सब लोग सभा में वापस आए तो व्यास जी ने कहा- तुम लोग केवल आशंका में भागे कि मेरी कुटिया में आग न लग जाए, , ले...

भावों का चमत्कार

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भावों का चमत्कार एक बार सम्राट श्रेणिक भगवान महावीर के दर्शन के लिए जा रहे थे। रास्ते में उन्होंने एक मुनिराज को अत्यंत क्रोध की मुद्रा में एक पेड़ के नीचे ध्यान में बैठे हुए देखा। सम्राट श्रेणिक ने उनको वंदन किया और सीधे भगवान महावीर स्वामी के समवसरण में गये और भगवान से मुनिराज के तीव्र क्रोध का कारण और इसका फल जानने की इच्छा रखी। भगवान ने कहा, "श्रेणिक! जिस समय तुम उधर से गुजर रहे थे, वे तीव्र क्रोध में मग्न थे। अगर थोड़ी देर ऐसे ही रहे तो सातवें नरक में जाएंगे। दरअसल बात यह है कि वे एक राजा थे और अपने बच्चे का अबोध अवस्था मे राजतिलक करके वह दीक्षित हो गए थे। उनके दीक्षित होने के बाद उनके मंत्रियों ने छल पूर्वक पूरा राज्य हथिया लिया और उनके बेटे और रानी को देश से निकाल दिया था।" फिर जब राजा श्रेणिक भगवान का धर्मोपदेश सुनकर लौटे तो वहाँ का माजरा देखकर अचंभित हो गए। देखा - महाराज को तो केवलज्ञान हो गया और सब ही देवता उनकी पूजा कर रहे थे। राजा श्रेणिक को देखकर आश्चर्य हुआ कि इनको केवल ज्ञान कैसे हो गया? वो वापस भगवान के पास गए और उन्होंने पूरी बात जानने की चेष्टा भ...

शेर का घमंड

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शेर का घमंड   एक बड़े से जंगल में शमशेर नाम का एक बड़ा और ताकतवर शेर रहा करता था। उसकी ताकत और तेज दहाड़ से जंगल का हर एक जानवर उससे डरता था। शेर जंगल का राजा था और उसे इस बात का बहुत घमंड था। उसे लगता था की वो जंगल में जो चाहे वो कर सकता है। एक दिन शहर का राजा जंगल में घूमने निकला। घूमते घूमते वो शेर एक राज्य की तरफ आ गया। वहां उसने देखा की उस राज्य के राजा एक बड़े से हाथी पर आसान लगा कर अपने राज्य के चक्कर लगा रहा है। उसे देख कर शेर के मन में भी हाथी पर आसन लगाकर बैठने का उपाय सुझा । शेर जंगल की तरफ वापिस आ गया और उसने जंगल के सभी जानवरों को बताया और आदेश दिया कि हाथी पर एक आसन लगाया जाए। बस क्या था, शेर ने जैसे ही आदेश किया झट से जंगल के सबसे बड़े हाथी पर आसन लग गया। शेर उछलकर हाथी पर लगे आसन मैं जा बैठा। और अपनी तेज दहाड़ के साथ उसने हाथी को चलने के इशारा दिया। हाथी जैसे ही आगे की ओर चला, तो हाथी के चलने की वजह से आसन जोर जोर से हिलने लगा और थोड़ा आगे जाने के बाद शेर धड़ाम से उस आसन से नीचे गिर गया। शेर के नीचे गिरते ही सारे जानवर जोर जोर से हंसने लगे। शेर की एक टां...

राजू की समझदारी - लघु कहानी

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राजू की समझदारी - लघु कहानी जतनपुर में लोग बीमार हो रहे थे। डॉक्टर ने बीमारी का कारण मक्खी को बताया। जतनपुर के पास एक कूड़ेदान है। उस पर ढेर सारी मक्खियां रहती है। वह उड़कर सभी घरों में जाती, वहां रखा खाना गंदा कर देती। उस खाने को खाकर लोग बीमार हो रहे थे। राजू दूसरी क्लास में पढ़ता है। उसकी मैडम ने मक्खियों के कारण फैलने वाले बीमारी को बताया। राजू ने मक्खियों को भगाने की ठान ली। घर आकर मां को मक्खियों के बारे में बताया। वह हमारे खाने को गंदा कर देती है। घर में आकर गंदगी फैल आती है। इसे घर से बाहर भगाना चाहिए। राजू बाजार से एक फिनाइल लेकर आया। रसोई घर में खाना को ढकवा दिया। जिसके कारण मक्खियों को खाना नहीं मिल पाया। दो दिन में मक्खियां घर से बाहर भाग गई। फिर घर के अंदर कभी नहीं आई।    सीख : - स्वयं की सतर्कता से बड़ी-बड़ी बीमारियों से बचा जा सकता हैं।

दो घड़े

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 दो घड़े एक बार एक नदी में ओरों को बाद आई। तीन दिनों के बाद बाद का जोर कुछ कम हुआ। बाढ़ के पानी में ढेरो चीजें बह रही थी उनमें एक तौबे का पड़ा एवं एक मिट्टी का पड़ा भी था ये दोनों पड़े अगल-बगल तैर रहे थे ताँबे के बड़े ने मिट्टी के घड़े से कहा, "अरे भाई, तुम तो नरम मिट्टी के बने हुए हो और बहुत नाजुक हो अगर तुम चाहो तो मेरे समीप आ जाओ मेरे पास रहने से तुम सुरक्षित रहोगे।" 'मेरा इतना ख्याल रखने के लिए आपको धन्यवाद, "मिट्टी का पड़ा बोला, " पर मैं आपके करीब आने की हिम्मत नहीं कर सकता। आप बहुत मजबूत और बलिष्ठ है मैं ठहरा कमजोर और नाजुक कहीं हम आपस में टकरा गए, तो मेरे टुकड़े-टुकड़े हो जाएंगे। यदि आप सचमुच मेरे हितैषी है, तो कृपया मुझसे थोड़ा दूर ही रहिए।" इतना कहकर मिट्टी का पड़ा तैरता हुआ ताँबे के पड़े से दूर चला गया।  सीख:- ताकतवर पड़ोसी से दूर रहने में ही भलाई है।

बच्चा और अकबर की दाढ़ी के बाल

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बच्चा और अकबर की दाढ़ी के बाल अकबर एक बार बीरबल के साथ हवाखोरी के लिए निकले। उन दिनों अकबर अपने साम्राज्य विस्तार के लिए लगातार प्रयास कर रहे थे। अपनी सल्तनत में अपनी स्वीकृति के लिए भी अकबर ने लगातार कार्य किया था जिससे हर तरफ उनकी सराहना हो रही थी। रियाया में अपनी तारीफ होने की बातें सुनकर अकबर के मन में अभिमान होने लगा था कि वह सबसे बड़े हैं। हवाखोरी करते-करते अकबर ने अचानक बीरबल से पूछा- "बीरबल, बताओ, संसार में सबसे बड़ा कौन है?" बीरबल ने इस प्रश्न से यह समझ लिया कि अकबर इस समय अपनी सफलता के मद में चूर हैं और इस प्रश्न के उत्तर में उसके मुँह से सुनना चाहते हैं- 'जहाँपनाह! आप !' मगर यह जानते - बूझते भी बीरबल ने ऐसा कुछ नहीं कहा। अकबर ने जब दुबारा वही सवाल किया तब उनकी ओर देखते हुए बीरबल ने कहा- “जहाँपनाह! संसार में सबसे बड़ा हम किसी भी नन्हे बच्चे को कह सकते हैं जिसके सभी दाँत बाहर नहीं आए हों और जो बोलना सीख रहा हो !" बीरबल का जवाब सुनकर अकबर को निराशा हुई । खीज से भरकर अकबर ने पूछा - " तुम अपनी बात सिद्ध कर सकते हो बीरबल ?” " अवश्य कर सक...

नकली शेर - अकबर बीरबल की मजेदार कहानी

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नकली शेर - अकबर बीरबल की मजेदार कहानी बादशाह अकबर अपने पड़ोसी मुल्को से अच्छी मित्रता रखते थे। ऐसे ही एक फारसी मित्र थे जो की बहुत ही विशाल साम्राज्य के राजा थे ।बादशाह और उनका मित्र दोनों एक दुसरे को अक्सर पत्र लिखा करते और एक दुसरे से मजाक चलती रहती । बादशाह अक्सर चुटकले और शायरिया लिखकर भेजते। और फारसी का राजा उनको अक्सर तोहफे भेजा करता। एक दिन फारसी के राजा ने एक ऐसा तोहफा और पत्र भेजा जिसको देखकर बादशाह चौंक गये। तोहफे के अन्दर से एक पिंजरा और एक पत्र निकला । पिंजरे के अन्दर एक शेर था। बादशाह ने पत्र खोलकर देखा तो उसके अन्दर लिखा था की इस शेर को कैसे भी करके बाहर निकालना हैं और इस पिंजरे को खोलना भी नहीं हैं. और अगर ऐसा नहीं किया तो हम आपकी सल्तनत पर हमला करेंगे। बादशाह पत्र पढ़कर सोच मे पड़ गये । बादशाह ने तुरंत सभा बुलाई और उस पिंजरे और पत्र को सभी के सामने पेश किया । सभी को पत्र सुनाकर सभी से एक एक करके राय मांगी । उस दिन बीरबल किसी सरकारी काम से बाहर गए हुए थे। अकबर को इस बात का अफ़सोस था की बीरबल इस मुसीबत बला में उनके साथ क्यों नहीं हैं । पूरे दरबार में सभी एक दु...

अकबर बीरबल कहानियां

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अकबर बीरबल कहानियां * 1 बीरबल का जादू एक बार बादशाह अकबर के राज्य में काफी पानी की कमी हो गयी। बादशाह ने अपने मंत्री को बुलाया, और ढेरों रुपये देकर कहा कि पूरे राज्य में कुयें, तालाब बनवाये ।। मंत्री ने सिर्फ बादशाह के शहर में ही बनवाये, और सारा पैसा बचा लिया । मंत्री की ये चाल बीरबल जान गए। दरबार में बीरबल बोले की उन्होंने एक ऐसा जादू सीखा है जिससे वो तालाब और कुए गायब कर सकते है। अकबर ने जादू देखने की इछ्छा जतायी तब बीरबल उन्हें ने राज्य में ले गए और जहाँ जहाँ मंत्री ने कुए और तालाब नहीं बनवाए वह ले जाकर बोले की महाराज यहाँ पैर तालाब था जो मैंने गायब कर दिया । उन्होंने मंत्री की सारी चाल बादशाह अकबर को बताई। राजा ने मंत्री को बुलाया, और सी कुयें अपने पास से बनबाने की सजा सुनाई । और बीरबल को एक हजार सोने के सिक्के इनाम में दिए। बादशाह अकबर बीरबल से बहुत खुश हुए। 2* कौन गधा तम्बाकू खाता है बीरबल तम्बाकू खाया करते थे, मगर अकबर बादशाह नहीं खाते थे। एक दिन अकबर बादशाह को लज्जित करने के लिए सैर का बहाना करके तम्बाकू के खेत में ले गए। वहां जाकर उन्होंने एक गधा खेत में चरने के ल...