किसी को हल्के में न ले



किसी को हल्के में न ले
मुनि श्री 108 प्रमाणसागर जी के प्रवचनांश

एक दिन एक व्यक्ति के पैर के अँगूठे में चोट लग गई ओर वह चिकित्सक के पास पहुँचा। जब डॉक्टर को दिखाया तो डॉक्टर ने जांच की और कहा- भैया अँगूठा काटना पड़ेगा क्योंकि जहर फैल गया है। मरीज ने कहा-डॉक्टर साहब अँगूठा यदि कट जायेगा तो अच्छा नहीं रहेगा, आप तो दवाई दे दो और कैसे भी हो ठीक कर दो। डॉक्टर ने कहा ठीक है कोशिश करते हैं। फिर मरीज आठ दिन बाद चिकित्सक के पास गया और कहा अब तो पूरे पंजे में दर्द हो रहा है। डॉक्टर ने जांच की और कहा भैया अब तो पूरे पंजे में जहर फैल गया है, पूरा पंजा काटना पड़ेगा। मरीज ने कहा आप तो ऐसा करो डॉक्टर साहब अँगूठा काट दो, पंजा रहने दो। मरीज पन्द्रह दिन बाद वापस डॉक्टर के पास गया तो घुटने तक दर्द हो गया था। डॉक्टर ने जांच की ओर कहा भैया अब तो आधा पैर काटना पड़ेगा। मरीज ने कहा कि आप तो पंजा काट दो। कुछ दिन बाद पता लगा कि जीवन से ही हाथ धोना पड़ गया। सारे शरीर में जहर फैल गया और सब नष्ट हो गया। एक छोटे से घाव पर ध्यान न देने से वह बढ़कर जान लेवा बन सकता है।

इसी प्रकार मन की कषाय (क्रोध, मान, माया, लोभ) को कम समझकर उसकी उपेक्षा मत करो। कषाय जहाँ उत्पन्न हो उसे वहीं शान्त करने का प्रयास करो। क्योंकि कषाय सदैव दुःख का कारण होती है।

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