mahakta Aanchal story in Hindi -ढेर हुआ ताज महल -महकता आंचल स्टोरी - राजिया मेंहदी

mahakta Aanchal story in Hindi -ढेर हुआ ताज महल -महकता आंचल स्टोरी - राजिया मेंहदी

मैं तो पिया की थी पिया की रहूंगी मैं तो पिया पिया पिया ही कहूंगी. तानिया बड़े ऊंचे सुरों में अपनी आदत- के खिलाफ शुरू थी ।
"खैरियत तो है तानिया? यह आज तानसेन की रूह को कौन झिन्झोड़ रहा है।" सानिया की आवाज़ से जैसे वह अपनी ख़्वाबों की नगरी से पलट आई- “क्यों, मैं क्या कभी गुनगुना नहीं सकती ?"
"ज़रूर सकती हो मेरी जान ! मगर यह चमत्कार हुआ कैसे ? इतना लहक लहक कर किसे याद किया जा रहा है ? वह कौन है बदनसीब ?"
"कोई नहीं। कोई भी नहीं ।'' कहते कहते वह खिड़की से बाहर देखने लगी । सानिया से बिल्कुल बर्दाश्त नहीं हुआ। वह जैसे चोरी पकड़ लेने वाले अन्दाज़ में उठी- “वाकई तानिया ! कोई है ऐसा कोई ज़रूर है कि तुम्हारा चेहरा यूं...... ।" वह शरारत से उंगली उठाकर हंस पड़ी।
तानिया खुद पर काबू पा चुकी थी _
"बकवास करने की जरूरत नहीं ।"
"मगर अभी अभी कुछ कुछ होता हुआ लग रहा था ।' "क्या अभी अभी ? मैंने ज़रा सा बेवकूफ बनाया और आप बन गयीं।"
"ओह!" सानिया को वाकई अपनी बेवकूफी पर नदामत हुई- "वही तो मैं सोच रही थी। तुम और कोई ऐसा कारनामा ।"
"जाने दो। मैं अभी कुछ देर और अदाकारी करती तो तुम तो बिल्कुल ही .........! 
  "हां यह तो है।" सानिया हमेशा तानिया की बातों में आने वाली थी ।
    तानिया ने शुक्र किया चलो बात बन गई । अस्ल में आजकल वाकई उसके हवासों पर वह पता नहीं कब और कैसे चुपचाप हावी हुआ जा रहा था जैसे वह अपनी सुध बुध ही भूलती जा रही थी।
    वह था ही ऐसा स्मार्ट, डैशिंग और सबसे बढकर जो बात उसे और सब लड़कों से अलग और मुमताज़ बना रही थी वह था उसका रख रखाव। बोलने का शाइस्ता अन्दाज़ । उस पर अच्छी नालिज और अदबी जौक ने उसकी शख्सीयत को बेहद पुरकशिश बना दिया था ।

तानिया खुद को खुश किस्मत समझती थी कि बिल्कुल इत्तिफाक से सही मगर उसे जुहेब तलाल को क़रीब से देखने का मौका मिला और वह खुद को ज़िन्दगी में पहली बार उसकी जादू भरी शख्सीयत से बचाने में कामयाब न रही ।
वह ऐसी वैसी लड़की नहीं थी । नफासत पसन्द, सलीके और तरीके में अपने पूरे खानदान में बहुत ख़ुशनाम थी। सब ही उसकी जहानत और लियाकत के कायल थे। कालेज से यूनीवर्सिटी तक उसने अपनी जहानत के झन्डे गाड़ दिए थे। वह पढ़ाई के अलावा और एक्टीविटीज़ में भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेती और हमेशा नम्बर वन रही थी। को एजूकेशन में पढ़ने के बावजूद किसी से इम्प्रेस होना तो दूर की बात, किसी को देखना भी उसे कहां गवारा था।
    मगर अब कुछ कोई ऐसी बात जो वह खुद समझने से कासिर थी मगर थी कोई ऐसी बात जिससे उसके दिल की धड़कनें बेतरतीब होने लगती थीं। कुछ ऐसा जरूर था कि उसका दिल कुछ गुनगुनाने को तेंयार रहता । ठन्डी हवा के झोंके खुशबू उड़ाते महसूस होते । बात बे बात हंसने को दिल चाहता। और तो खैर सब लोग तानिया की इस कैफीयत से अनजान थे। मगर सानिया की नज़रों से छुपना मुहाल था।
      दोनों का साथ उस वक्त से था जब दोनों ने दुनिया में आकर सांस ली थी। हर जगह, हर लम्हा साथ रहीं जैसा एक दूसरे की परछायीं हों। अब जबसे यूनीवर्सिटी आई थीं, दोनों के डिपार्टमेन्ट अलग अलग थे ।

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   सानिया हैरान तो थी मगर क्योंकि तानिया हमेशा उसको बातों में उड़ाती आई थी इसलिए वह जब भी कोई बात शुरू करती तानिया संभल जाती। और हमेशा की तरह उसे चुटकियों में उड़ा देती। कुछ यह भी था कि तानिया हमेशा से सानिया को नकचढ़ी लगती। ज़रा सी भी तो बर्दाश्त न थी । सारी नफासत, सलीका और तरीका बस उस पर खत्म था ।पसन्द इतनी आला थी कि किसी का उस पर पूरा उतरना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन था। जरा सी गर्द को गन्दगी समझती । तानिया से सानिया हमेशा बहुत संभल कर बात करती थी। और तो और लड़कों से वह खासतौर पर एलर्जिक थी और इस बारे में उसकी सानिया से झड़पें होती रहती थी।
 "अक्ल से पैदल होते हैं यह लड़के।" वह कहती।
     "ऐसा न कहो। सब नहीं होते ।" सानिया नई नई मंगनी शुदा थी। उसे सारे लड़कों को बुरा कहने पर गुस्सा आ जाता था।

"मैं तो बार बार कहूंगी यह लड़के एतबार के काबिल नहीं होते।" 

"तुम्हें कितने लड़कों का पता है ?" सानिया जलकर कहती ।

"अरे हद दर्जे के गन्दे, लापरवाह । सफाई ऊपरी होती है। उंगलियां सिग्रीटों के निशान लिए, कॉलर मैल से भरे हुए।" 
    "लो भला न जोन कौनसे लड़के देखे हैं तुमने। दुनिया में साफ सुथरे भी लोग हैं।" सानिया उसकी बात काटती ।

         मगर वह तानिया ही क्या जो बातों में आ जाए। मगर आजकल उसमें जबरदस्त तब्दीली आ गई थी। मौसमों, गीतों और खुशबुओं में दिलचस्पी कोई और ही कहानी कहती थी।

सानिया उसकी बदलती कैफीयत से काफी हैरान थी। शायद यह उसका वहम हो वरना भला पत्थर में कब जोंक लग सकती है। कितने ही लोग बाहर के और खानदान के तानिया के तलबगार हुए थे।

हर कोई उसकी खूबसूरती का दीवाना था. किसी को उसकी जहानत पसन्द थी। मगर सानिया ने सबको रिजेक्ट कर दिया। कह • अपने आइडियल से नीचे देखने की कायल ही न थी।

"लो भला जिन्दगी कोई बार बार मिलती है।" या फिर कहती- "जिन्दगी समझौतों से गुजारना मेरे बस की बात नहीं।"
कभी कहती- "जब इन्सान खूब से खूबतर पा सकता हो तो कम पर गुजारा
मगर जबसे जुहेब यूनीवर्सिटी में आया था, तानिया के सारे उसूल और ख्यालात पलट गए थे। जुहेब एक जादू था जो देखते देखते तानिया के सर पर चढ़कर बोलने लगा था।
   वह कभी कभी सोचती- "क्या में आम लड़कियों की तरह होती जा रही है ?"
 "नहीं। और फिर वह भी आम कहां है।"

महकता आंचल कहानी


"मगर क्या खास बात है उसमें ?"
 "खास ही खास है। इतना शाइस्ता, ज़हीन । बात करने का पुरकशिश अन्दाज़ ।"

"मगर यह सब अनोखा तो नहीं। जाने कितने लोग ऐसे होंगे बल्कि उससे भी ज्यादा ।"

"ऐसे जहीन लोग कहां होते हैं कि बात अभी सोचों पर दस्तक दे रही हो और वह समझ कर जवाब भी दे दें। "

कभी कभी अपनी बदलती कैफीमत पर वह शर्मा जाती । उसकी जिन्दगी में यह रंग बिल्कुल नए थे।

यूनीवर्सिटी की बज्मे अदब से एक अदबी हफ्ता मनाया जा रहा था। जुहेब उसमें बढ़चढ़कर हिस्सा ले रहा था। आज सानिया का दिल चाह रहा था कि वह किसी न किसी से अपने दिल की बात शेयर करे । वह रात को खुद ही सानिया को अदबी हफ्ते की बातें बताने बैठ गई ।

सानिया को शेएरो शायरी से बस नाम की दिलचस्पी थी। वह स्टुडेन्ट मैथ की थी और दो चार और बस वह शेअर सुन तो लेती मगर समझने की ज़िम्मेदारी से मुनकिर हो जाती । वह तानिया का हूँ हा में जवाब दे रही थी। तानिया चिड़ गई- “तुम सुन रही हो
या नहीं? मैं नहीं सुनाती ।' "अरे अरे नहीं। प्लीज़ नाराज़ न हो, मैं सुन रही हूं। अच्छा चलो कल मैं भी तुम्हारे साथ चलूंगी । चलो अब सो जाओ।"

"मरो। कोई ज़रूरत नहीं है जाने की।" तानिया को गुस्सा आ गया- "कमबख्त अपनी कहानियां सुनाती रहती है। अब देखो मैंने बात शुरू ही की थी तो नीन्द आने लगी। अभी तो मैं अस्ल बात' पर आई भी न थी।"

      दूसरे दिन मुशाइरा था। तमाम मशहूर शाइर आए थे। रात वह देर तक प्रोग्राम बनाती रही। मगर उसके साथ सुबह बहुत ही अजीब हुआ। वह बिस्तर से उठ न सकी। तेज बुखार और सारा जिस्म फोडे की तरह दूख रहा था। वह घबरा गई - "अब यूनीवर्सिटी कैसे जाऊंगी ?" 
      "यूनीवर्सिटी में एक तुम्हारे न जाने से क़यामत नहीं आ जाएगी।" सानिया तप गई ।.

"अरे मेरा जाना जरूरी है।" वह उठने लगी।

"दिमाग खराब है तुम्हारा ठहरो, में अम्मी को बुलाती हूं। अम्मी अम्मी!" "क्या हुआ ?" अम्मी बदहवास सी दौड़ी आयी। फिर तानिया की हालत देख कर घबरा गयी "अरे इतना तेज

बुखार ।" "जी अम्मी ! और यूनीवर्सिटी जाने

को तप्यार है। "कोई जरूरत नहीं। इतना तेज बुखार है। क्या मरने का इरादा है।" अम्मी ने डांट लगाई।

"अरे अम्मी । वह आप समझती क्यों नहीं वह मुशाइरा मुझे सारे काम देखने हैं।"

"कुछ नहीं। बस कह दिया आराम करो।" अम्मी ने फैसला सुना दिया।

वह चादर ओढ़कर लेट गई। शाम को बड़ी बेचैनी से वह सानिया का इन्तिज़ार करती रही। पता नहीं मुशाइरा कैसा रहा। कौन कौन जाया ।

सानिया लौटी तो बहुत खुश थी। आते ही उसने कहा- "यार! बड़ा धांसू मुशाइरा था। बड़ा मज़ा आया।" फिर अचानक बोली- "यार! वह तेरे डिपार्टमेंट में कौनसा लड़का है। काफी सोबर सा जो हर काम में आगे आगे था ?"
तानिया का दिल तेज़ी से धड़का- "और कौन हो सकता है, जुहेब तलाल।"
"क्यों, हंसने की क्या बात थी ?" "खैर मुझे तो सिर्फ हंसी आई थी । तुम देखती तो...।" 'अच्छा, ऐसा क्या था ?
"यार! वह इतना अच्छा लग रहा था मगर जब वह जूते उतार कर स्टेज पर चढ़ा, मत पूछो कितनी हंसी आई। तुम देखती तो......।"
"अच्छा ऐसा क्या था?"
" तुम यकीन करो मैंने आज तक किसी लड़के को ऐसे मोजे पहने नहीं देखा तानिया !उसने गहरे हरे रंग के मोजे पहने हुए थे तोते जैसे रंग के।
 उजड़ कही का।
तनिया उस बेवकूफ का क्या नाम है ?
"मुझे नहीं पता।"

 "हां, तुम्हें पता क्यों होने लगा ।"
 तानिया सोच में पड़ गई- "कौन होगा ? शायद दूसरा होगा । बज्मे अदब का सदर | पढ़ा लिखा है मगर बेहद बदजौक। उस पर अपने आप को न जाने क्या समझता है। मगर सानिया को वह सोबर नजर आया। पगली कहीं की।"
दो तीन दिन बाद ठीक होने पर वह यूनीवर्सिटी आई । जुहेब ने बड़े शाइस्ता अन्दाज़ में उसकी तबीअत पूछी। तानिया की नज़र इसरार पर पड़ी तो उसे सानिया की बात याद आ गई। 
   


       फिर एक दिन सारा ग्रुप पिककिन को गया। नदी किनारे पहुंचे तो सबका दिल पानी से खेलने को चाहा। तानिया ऐसे मौकों पर दूर भागती थी। मगर अब बात दूसरी थी ।

जब सब पानी की तरफ चले तो जुहेब ने तानिया से कहा- "अरे आप पानी में नहीं चलेंगी ? चलिए कोई बहाना नहीं चलेगा ।"

वह इसरार करता रहा और तानिया नखरे दिखाकर मना करती रही। फिर वह उसके साथ नदी किनारे चल दी।

नदी के पास जाकर जुहेब ने जूते उतारे। जूते उतरते ही तानिया को गहरी बदबू का एहसास हुआ जो वह बर्दाश्त नहीं कर सकती थी।

जब उसकी नज़र जुहेब के मोज़ों पर पड़ी तो नफासत पसन्द तानिया का बुरा हाल हो गया। गहरे हरे रंग के मोज़े और उनसे आती बदबू । तानिया के प्यार का ताज महल फ़ौरन ही ढेर हो गया ।




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