दो चोर
दो चोर
किसी गांव में एक दंपति रहते थे ।उनके कोई संतान न थी । उसी गांव के पास दो चोर भी रहते ।पूरा गांव उनसे परेशान था । चोर इतने शातिर थे कि गांववासियों की तमाम सावधानियों के बीच भी चोरी कर ही जाते ।
एक बार वे पिछवाड़े से दंपति के घर में घुस गए ।पति के दोनों नौकर बहादुर व शमशेर भी सोए हुए थे ।चोर घर में सामान खोज ही रहे थे कि अचानक चोरों के हाथ से कोई वस्तु छूटकर गिर गई ।आवाज के पास ही दूसरे कमरे में सोई पत्नी की नींद खुल गई
उसको चोरों के आने का अंदेशा हो गया ।उसने तुरंत ही पास में सो रहे पति को जगाया और धीरे से चोरों के बारे में बताया ,फिर धीरे से बोली, 'जैसा पूछें वैसा ही जवाब देना ।'
पत्नी ने पति से तेज स्वर में पूछना शुरू किया, 'अजी सुनते हो, तुम जल्द ही बाप बनने वाले हो । अगर बेटा हुआ तो क्या नाम रखोगे उसका ?'
पति बोला, 'बहादुर नाम रखूंगा ।' पत्नी ने नाम जोर से दोहराया, 'क्या... बहादुर ?' 'अच्छा दूसरे बेटे का नाम क्या रखोगे?' पति भी तेज स्वर में बोला, 'शमशेर नाम रखूंगा, ' पत्नी ने फिर जोर से नाम दोहराया, 'क्या शमशेर ? अच्छा जरा बताओ तो, तीसरे का क्या नाम रखोगे ?' पति फिर जोर से बोला, 'चोर रखूंगा, चोर ' पति-पत्नी की बात सुनकर चोर मुस्करा रहे थे ।उन्हें दोनों की बातों में आनंद आने लगा था ।तभी उन्होंने सुना, पत्नी कह रही थी, 'अजी यह तो बताओ कि तुम अपने तीनों बेटों को पुकारोगे कैसे?' पति जोर से बोला, 'अरे इसमें क्या परेशानी है ।एक साथ पुकारूंगा, बहादुर- जैसी आवाज को हमारे शेर बच्चे सुन ही नहीं पाएंगे ,जोर से पुकार कर बताओ न !' पत्नी ने कहा!
'बहादुर - शमशेर - चोर... बहादुर- शमशेर - चोर !' पति की ऊंची पुकार सुनकर दोनों नौकर हड़बड़ा कर उठ बैठे और कमरे के पास आकर बोले, 'मालिक, कहां हैं चोर ?'
पत्नी ने हाथ से पास वाले कमरे की तरफ इशारा कर किया ।फिर क्या था, दोनों ने लपक कर चोरों को पकड़ लिया और उनकी धुनाई कर डाली...
सीख - मुश्किल समय में तर्क और बुद्धि के प्रयोग से मुसीबतों से बाहर निकला जा सकता है
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