छोटी चीज में बड़ी बात
छोटी चीज में बड़ी बात
एक बालक ने माँ को कुछ लिखते देखा, तो बोला, 'माँ, आप पेन्सिल से क्यों लिख रही है?' माँ बोली, 'बेटा, मुझे पेन्सिल से लिखना अच्छा लगता है। इसमें कई गुण है।' बालक चौंका और बोला, 'दिखने में तो यह और पेन्सिलों जैसी ही है। लिखने के आलावा इसमें और कौनसा गुण है?' माँ बोली, 'यह जीवन से जुडी कई अहम सीखे हमें सिखाती है। इसके पांच गुण तुम अपना लो, तो इस संसार में शांतिपूर्वक रह सकोगे।
पहला गुण - तुम्हारे भीतर बड़ी से बड़ी उपलब्धि हासिल करने की योग्यता है। लेकिन तुम्हे सही दिशा में निर्देशन चाहिए। यह दिशा निर्देशन वह ईश्वर देगा और हमेशा अच्छी राह पर चलाएगा। दूसरा गुण - लिखते- लिखते बीच में रुकना पड़ता है। पेन्सिल की नोंक को पैना करना पड़ता है। इससे इसे थोड़ा कष्ट होता है लेकिन यह अच्छा लिख पाती है। इसलिए अपने दुःख, हार को धैर्य से सहन करों ।
तीसरा गुण – पेन्सिल गलतिया - सुधारने के लिए रबड़ के प्रयोग की इजाजत देती है। इसलिए कोई गलती हो तो उसे सुधार लो। चौथा गुण – पेन्सिल में महत्व बाहरी लकड़ी का नहीं, अंदर के ग्रेफाइट का है इसलिए अपने बाहरी रूप से ज्यादा अपने अंदर चल रहे विचारों पर गौर करें।
पांचवा गुण – पेन्सिल हमेशा निशान - छोड़ जाती है। तुम भी अपने कामों से अच्छे निशान छोड़ो।
मित्रों इस प्रकार छोटी-छोटी चीजों से भी बड़ी चीज समझी जा सकती है। और अपने जीवन को परिवर्तित किया जा सकता है।
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