लालच एक बुरी बला है...!
लालच एक बुरी बला है...!
एक बार की बात है । एक ऋषि अपनी कुटिया में बैठे थे। तभी उनको एक आवाज सुनाई दी - बचाओ ! ऋषि तुरंत कुटी से बाहर आए और देखा कि एक छोटा चूहा कराह रहा है । ऋषि ने पूछा, क्या हुआ ? चूहे ने बताया कि एक कौवा मुझे अपनी चोंच में दबाकर ले जा रहा था । जब उसने कांव-कांव बोला तो उसकी चोंच से मैं बाहर गिर गया । भगवान का लाख लाख शुक्र है कि मेरी जान बच गई । ऋषि को उस चूहे पर दया आई और उन्होंने सोचा कि क्यों न इसे बिल्ली बना दूं, ताकि इसको पक्षी से भय नहीं रहेगा । ऋषि ने तुरंत मंत्र पढ़ा और चूहे को बिल्ली बना दिया । चूहा बड़ा ही खुश होता है ।ऋषि कहते हैं कि जाओ, तुम्हें अब डरने की जरूरत नहीं है । अब वह ऋषि के साथ रहने लगा । एक दिन अचानक ऋषि की कुटी में एक कुत्ता आया और उस कुत्ते की नजर बिल्ली पर पड़ी ।कुत्ता तुरंत बिल्ली पर झपटा, बिल्ली चिल्लाई.. गुरु बचाओ ! ऋषि उस समय स्नान करके आ रहे थे ।उन्होंने देखा कि एक कुत्ता बिल्ली को परेशान कर रहा है, तो उन्होंने तुरंत मंत्र पढ़ा और बिल्ली को कुत्ता बना दिया । वो कुत्ता बनकर खुश हो गया कि खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा ।चूहे से बिल्ली बना... . बिल्ली से कुत्ता बना... क्या तकदीर थी उसकी ! धीरे-धीरे उसके मन में लालच भर गया ।
उसने सोचा कि क्यों न मैं शेर बन जाऊं, ताकि लोग मुझसे डरें, मुझे किसी से डर न रहे ।वो ऋषि के पास गया और बोला, हे गुरुजी ! मुझे शेर बना दीजिए, लोग मुझे मारके भगा देते हैं। मैं किसी का कछ नहीं करूंगा ।ऋषि ठहरे दयालु, मंत्र पढ़ा और उसे कुत्ता से शेर बना दिया । अब वह शेर बनकर अपने आप को बड़ा ही भाग्यशाली समझने लगा और लोगों को डराने लगा । एक दिन उसके मन में लालच आया कि क्यों न इस ऋषि को ही मार दूं ताकि कोई यह न जान पाए कि मैं पहले चूहा से बिल्ली बना, बिल्ली से कुत्ता बना, फिर कुत्ता से शेर बना। इसके बाद वो सही मौके का इंतजार करने लगा । एक दिन उसने देखा कि ऋषि पूजा में ध्यान लगाए हुए हैं, तो उसने तुरंत ऋषि पर आक्रमण किया. ऋषि को सब पता चल गया कि ये चूहा ही है. उन्होंने तुरंत मंत्र पढ़ा और उसे पुनः पहले वाली अवस्था में ला , जिससे वो फिर से चूहा बन गया । ऋषि ने चूहे को इस गंदी हरकत के लिए अपने घर से भगा दिया, जिससे चूहे की जान फिर से पहले की तरह खतरे में हो गई।
सीख - हमें लालच कभी भी नहीं करना चाहिए. लालच आदमी को अंधा बना देता है. जितना हमारे पास है, उतने में ही संतुष्ट रहना चाहिए.
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें