शेख चिल्ली के कारनामें

शेख चिल्ली के कारनामें 
तबीअत की खराबी

बचपन की ही एक और घटना है, चिल्ली मियां एक रईस के यहां नौकर हो गये। उनका काम घोड़े की देखभाल, चारा- भूसा देना, नहलाना था। एक दिन रईस घोड़े को दवा पिला रहा था, चिल्ली ने पूछा - "घोड़े को क्या हुआ?"

"बीमार है, दवा पिला रहा हूं।" रईस ने जवाब दिया। होनी कुछ ऐसी हुई कि अगले दिन घोड़ा मर गया । रईस के सामने चिल्ली पहुंचे, तो उसने पूछा - "घोड़े का क्या हाल है?" चिल्ली घोड़े को मरा हुआ देखकर आये थे। बोले - "हाल-चाल कुछ खास नहीं, वह सदा के लिए सो गया है । "

बोझ हल्का हो गया

बचपन की बात है - एक दिन शेखजी सर पर नमक की गठरी लादे जा रहे थे। राह में नदी पड़ती थी। अचानक उनका पांव फिसल गया तथा वे गठरी समेत पानी में गिर पड़े। पानी गहरा नहीं था, इसीलिए जल्दी बाहर निकल आये, पर उनको यह जानकर बड़ी खुशी हुई कि गठरी का बोझ कुछ हल्का हो गया था। वे बड़े आराम से घर पहुंचे। दूसरे दिन रूई का बण्डल लादकर आ रहे थे। राह में नदी देखकर उन्होंने नदी में बण्डल फेंक दिया कि जारा हल्का कर लूं। पर वे हैरान कि बण्डल उनसे उठाया न गया और वे उसे छोड़कर आ गये और मालिक से मार खायी।

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