कविताएं

कविताएं

कोयल रानी


कोयल रानी, कोयल रानी, 
काली काली बड़ी सयानी। 
किस झरने का पीती पानी, 
हो गई जिससे मीठी वाणी?


लाल टमाटर


गोल गोल ये लाल टमाटर होते
 जैसे गाल टमाटर फूर्ती लाता 
लाल टमाटर स्वास्थ बढाता 
लाल टमाटर मस्त बनाता
लाल टमाटर
 हम खायेंगे लाल टमाटर

खून बढाता लाल टमाटर

बन जायेंगे लाल टमाटर




गोल-गोल

सूरज गोल, चंदा गोल,
मम्मी जी की रोटी गोल, 
पापा जी के पैसे गोल । 
दादा जी का डंडा गोल, 
दादी जी का चश्मा गोल । 
हम भी गोल, तुम भी गोल 
सारी दुनिया गोल मटोल



हाथी राजा बहुत भले


हाथी राजा बहुत भले।
 सूँड़ हिलाते कहाँ चले?
 कान हिलाते कहाँ चले? 
मेरे घर भी आओ ना,
 हलवा-पूरी खाओ ना। 
आओ बैठो कुरसी पर,
 कुरसी बोली, चटर-पटर ।



गुड़िया रानी


यह है मेरी गुड़िया रानी, 
मुझसे सुनती रोज़ कहानी। 
खाती रोटी, पीती पानी, 
कभी नहीं करती शैतानी ।



स्कूल बस


जिस पर लिखा है नंबर दस,

देखो आ गई हमारी बस । 
सुबह-सवेरे है यह आए, 
पौं पौं, पौं पौं शोर मचाए । 
घर से स्कूल ले जाती है, 
स्कूल से घर तक लाती है।
 बच्चों को बहुत ही प्यारी, 
दस नंबर की बस हमारी।


गुब्बारे वाला आया ।


गुब्बारे वाला 
तरह-तरह के शोर मचाओ। 
रंग-बिरंगे प्यारे-प्यारे,
गुब्बारे लो गुब्बारे, 
गुब्बारे वाला आया । 
लाल-हरे-नीले-पीले, 
ऊँचा-ऊँचा इन्हें उठाओ, 
गुब्बारे लो गुब्बारे, 
गुब्बारे वाला आया। 
लो बच्चो लो, 
लाल-हरे-नीले-पीले, 
खुशियों का पैगाम लाए,
सब बच्चों के मन को भाए, 
गुब्बारे लो गुब्बारे, 




लो गरमी की छुट्टी आई


लो गरमी की छुट्टी आई, 
छोड़ दो करना सभी पढ़ाई । 
सुनकर रिंकी झट मुसकाई, 
कहो ना ऐसा राहुल भाई । 
खेलो- कूदो, खाओ मिठाई, 
सुबह-शाम हम करें पढ़ाई। 
रिंकी ने फिर कथा सुनाई, 
बात समझ में उसको आई। 
हँसता-खेलता राहुल भाई करता है 
अब रोज़ पढ़ाई



पापा कहते-पढ़ो, लिखो


पापा कहते-पढ़ो, लिखो, 
कुछ तो अपना, पाठ सुनाओ। 
माँ कहती हैं-सीधे बैठो, 
यहाँ नहीं तुम शोर मचाओ। 
भैया कहते-यहाँ न आओ, 
भागो यहाँ से, दूर हो जाओ। 
दादू कहते- आओ बेटा, हलवा-पूरी खाओ बेटा।


प्रार्थना


जिसने सूरज चाँद बनाया, 
जिसने तारों को चमकाया, 
जिसने फूलों को महकाया 
जिसने सारा जगत बनाया, 
उस प्रभु को सादर प्रणाम, 
उसका करूँ सदा गुणगान ।
 प्रभु तुझे सादर प्रणाम ।।


सुबह हो गई


काला कौआ छत पर बैठा,
 कैसा शोर मचाता है। 
काँव-काँव करके वह तो, 
मेरी नींद भगाता है। 
इधर से मुर्गा कुकड़ू-कू कर, 
मुझको यह समझाता है। 
सुबह हो गई, अब तो उठ जा, 
क्यों आलस तुझे आता है।


कौवा का स्कूल


सिर पर भारी बस्ता लादे,
कौवा जी पहुँचे स्कूल। 
लेकिन जल्दी जल्दी में वे,
 रबर पेंसिल आए भूल । 
टीचर जी कौवा से बोले,
 वापिस घर को जाओ। 
रबर पेंसिल लेकर ही तुम, 
फिर शाला को आओ।




मछली ने खा लिया आचार


मछली ने खा लिया आचार 
चढ़ा उसे तेज बुखार |
 डॉक्टर बनकर कछुआ आया 
थर्ममीटर तुरंत लगाया | 
फिर कछुआ इंजेक्शन लाया 
झट मछली को उसे लगाया | 
फिर कुछ कड़बी दबा पिलाई 
मछली को झट उलटी आयी ।


आज सोमवार है
आज सोमवार है,
कल मंगलवार है।
परसो बुधवार है,
तोते को बुखार है।
गुरूवार को डॉकटर आए,
शुक्रवार को इलाज कराए।
शनिवार को तोता ठीक हुआ 
रविवार को नानी के घर गया।


सूरज गोल, चन्दा गोल


सूरज गोल, चन्दा गोल,
मम्मी जी की रोटी गोल
पूड़ी गोल, कचौड़ी गोल
भैया खाए, लड्डू गोल |
पहिया गोल, रूपया गोल, 
सुनो साथियों, दुनिया गोल।




उड़ी पतंग


सर-सर-सर-सर, उड़ी पतंग | 
फर-फर-फर-फर, उड़ी पतंग |
 इसको काटा, उसको काटा, 
उड़ते-उड़ते कटी पतंग |


छोटा सा घर मेरा


छोटा सा घर मेरा, 
छोटा सा मन मेरा,
 छोटी सी साईकिल 
छोटी सी कार दिन भर खेलूँ
हो इन दोनों पर सवार



घड़ी की टिक टिक


घड़ी की टिक टिक याद दिलाये
काम समय पर करना है
समय पर खाना
समय पर सोना
और समय पर जागना है

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