गधो का सत्कार Hindi Story Hindi Kahaniyan
गधो का सत्कार । Hindi Story। Hindi Kahaniyan
बहुत समय पहले की बात है. एक जंगल में गधे ही गधे रहते थे। पूरी आजादी से रहते, भरपेट खाते-पीते और मौज करते । गधों के लिए वह जंगल स्वर्ग की तरह था। एक दिन एक लोमड़ी को
मजाक सूझा। उसने मुंह लटकाकर गधों से कहा- 'मैं चिंता से मरी जा रही हूं और तुम इस तरह आराम से घूम रहे हों हमारे यहां कितना बड़ा संकट सिर पर आ पहुंचा है!' गधों ने उत्सुकता से पूछा- 'दीदी, भला क्या हुआ, बात तो बताओ!' लोमड़ी ने कहा- 'मैं अपने कानों से सुनकर और आंखों से देखकर आई हूं, जंगल की झील की मछलियों ने एक सेना बना ली है और वे अब हम सब पर हमला करने वाली है। लोमड़ी की यह बात सुन कर सभी गधे असमंजस में पड़ गए । उन्होंने सोचा, व्यर्थ जान गंवाने से क्या लाभ, चलो कहीं अन्यत्र चलो ! सारे गधे जंगल छोड़कर गांव की ओर चल पड़े । सबके दिमाग में एक ही बात चल रही थी कि इससे पहले कि मछलियां हम पर हमला करें, जितना दूर हो सके, निकल लेने में ही भलाई है । और वे सब लोमड़ी को शुक्रिया भी कह रहे थे कि अगर उसने न बताया होता तो हमारा बचना भी मुश्किल ही था। जब ये सारे गधे | गांव की तरफ पहुंचने लगे तो सबसे पहले धोबियों की नजर उन पर गई। इस प्रकार घबराए हुए गधों को देखकर गांव के धोबी ने उनका खूब सत्कार किया। गधों ने अपनी पूरी आपबीती धोबियों को सुनाई। धोबियों ने अपने छप्पर में गधों को डालकर खूंटे में बांधते हुए कहा- 'डरने की जरा भी जरूरत नहीं, उन दुष्ट मछलियों से मैं निपट लूंगा। तुम मेरे बाड़े में निर्भयता पूर्वक रहो, बस मेरा कपड़ों का बोझ ढो देना' धोबी की बात सुन कर गधो की घबराहट तो दूर हुई पर उन्हें अपनी मूर्खता की कीमत चुकानी पड़ी अपनी आजादी गवा कर।
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