समान स्वभाववाले से मित्रता करो

समान स्वभाव वाले से मित्रता करो
चूहे और मेंढक की भेंट हुई और वह देखते-देखते बड़ी गहरी मित्रता में बदल गई। चूहे ने कहा- चलो भाई! विदेश चलें, सुख से कमाएँ खाएँ। यहाँ तो पेट भर भोजन के लाले पड़े हैं।
मेंढक ने जवाब दिया-बात तो बड़े पते की कहते हो। बस चलो ?
अभी चलें, परन्तु चलने से पहले एक काम करो। " हम दोनों एक मजबूत और मोटे धागे से अपनी-अपनी कमर बांध लें। ऐसा होने से हम दोनों सदा एक साथ रहेंगे। कभी आपस में नहीं बिछड़ेंगे और सुख दुःख में एक दूसरे के काम आ सकेंगे।
चूहे को यह सलाह इतनी पसन्द आई कि वह फौरन कहीं से एक मोटा और मजबूत धागा ढूँढ़ लाया। फिर उसके पहले छोर में अपनी और दूसरे छोर से मेंढ़क की कमर बांधने के बाद बोला-लो झटपट चलो। अब जरा भी देर न करो।

मेंढक ने फुदकते हुए कहा-हम बढ़ते हैं। तुम हमारे पीछे-पीछे दौड़ लगाते चले जाओ। इस प्रकार दोनों दोस्त एक-दूसरे से बंधकर विदेश की ओर चल पड़े, रास्ते में एक नाला पड़ा। उसका गहरा नीला पानी देखते ही चूहा घबरा कर बोला- आ-र-र। भईया, मेंढक, हम तो इसे पार न कर सकेंगे।

मेंढक एक छलांग मारकर पानी में जा गिरा, उसके साथ चूहा भी खिंचकर पानी में जा पहुँचा। मेंढ़क जरा बिगढ़कर बोला-मरे क्यों जाते हो। तैरते तैरते चले जाओ ना! तैरना नहीं जानते हो तो ऐसा करो, हमारे पीठ पर बैठो। हम तुम्हें बड़ी सरलता से उस पार
पहुँचा देंगे।

बीच धार में उसे जो शैतानी सूझी तो मेंढक गड़ाप से पानी के भीतर चला गया और चूहे को भी पानी के भीतर खींचने लगा। बेचारा चूहा लगा अपने बचाव की कोशिश करने और गिड़गिड़ाने, अरे मेंढ़क भईया, दया करो, पानी के ऊपर आ जाओ, नहीं तो हम डूबे और मरे।

परन्तु मेंढ़क को तो मजा आ रहा था, भला वह चूहे की चीख-पुकार कब सुनने वाला था। चूहा बेचारा उसी तरह रो-रोकर कहता था-मान जाओ। ऐ मेंढ़क भईया ! मान जाओ। तनिक तो मित्रता निभाओ। यों हमारे प्राणों के ग्राहक न बनो, बूढ़े-पुराने लोग ठीक ही कह गए हैं। समान स्वभाव वाले से ही मित्रता करो, नहीं तो बाद में पछताना पड़ता है।

मेंढक और चूहे की इस खींचातान से पानी में बड़ी हलचल मची हुई थी। उसी समय आकाश में। एक चील उड़ी जा रही थी। वह चूहे को देखकर फौरन उस पर टूट पड़ी और उसे अपने पंजों में दबाकर ले उड़ी। मेंढ़क की चूहे की कमर तो बंधा ही था, वह भी उसके साथ-साथ चीला का शिकार हो गया।

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