मुस्तफा


मुस्तफा 
300 साल पहले की बात है, मुस्तफा नाम का एक गुलाम, अपने क्रूर राजा से परेशान होके जंगल में भाग जाता है। वहां अचानक से एक लंगड़ाता हुआ शेर दिखाई देता है। वह चुपके से पेड़ के पीछे से शेर की सारी हरकतों को देख रहा होता है। उसको समझ में आता है की शेर के पाव में कुछ अटका पड़ा है जिसको बार बार शेर हटाने की कोशिश कर रहा, लेकिन उसमे असफल रहता है। किसी तरह हिम्मत जुटा के मुस्तफा शेर के पास जाता है और धीरे से उसको पुचकारना चालू करता है। शेर पहले तो गुर्राता है लेकिन फिर शांत हो जाता है। धीरे से मौका पाके मुस्तफा शेर के पैर से काटा निकाल देता है और फिर जंगल में निकल पड़ता है।

कुछ दिनों बाद वही क्रूर राजा जंगल में शिकार करने आता है और वह कई जानवरो को पकड़ लेता है जिसमे की वह शेर भी शामिल होता है। इसी बिच मुस्तफा भी राजा के सैनिको द्वारा पकड़ लिया जाता है और उसको राजा के सामने पेश किया जाता है । मुस्तफा को देखे ही राजा का खून खौल उठता है और वह अपने सैनिको से मुस्तफा को शेर के पिंजरे में डालने को कहता है ताकि शेर उसको देखते ही उसको मार डाले। पिंजरे में डाले जाने पे मुस्तफा की हालत खराब हो जाती है। लेकिन थोड़ी ही देर में मुस्तफा को समझ आ जाता है की यह वही शेर है जिसके पैरो से उसने काटा निकला था। शेर उसको देख के उसके पास आता है और फिर वापस लौट जाता है क्यूंकि शेर को भी मुस्तफा की मदद याद रहती है।

बाद में मुस्तफा अपने दिमाग से राजा को कई इधर उधर की कहानियों में उलझा कर शेर सहित सारे जानवरो को आजाद करवा देता है।

कहानी से सीख : दूसरों की जरूरत में मदद करनी चाहिए, बाद में कई बार हमें उसका पुरस्कार किसी न किसी रूप में जरूर मिलता है

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